प्रधानमंत्री पोषण योजना
- हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में गर्म पका हुआ भोजन उपलब्ध कराने हेतु ‘प्रधानमंत्री पोषण योजना’ को मंज़ूरी दी है।
- यह योजना स्कूलों में मिड-डे मील योजना के मौजूदा राष्ट्रीय कार्यक्रम का स्थान लेगी।
- इसे पाँच वर्ष (2021-22 से 2025-26) की शुरुआती अवधि के लिये लॉन्च किया गया है।
- यह योजना देश भर के 11.2 लाख से अधिक स्कूलों में कक्षा I से VIII तक नामांकित 11.8 करोड़ छात्रों को कवर करेगी।प्राथमिक (1-5) और उच्च प्राथमिक (6-8) स्कूली बच्चे वर्तमान में प्रत्येक कार्य दिवस में 100 ग्राम और 150 ग्राम खाद्यान्न प्राप्त करते हैं, ताकि न्यूनतम 700 कैलोरी सुनिश्चित की जा सके।
- इस योजना के तहत सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में चल रहे प्री-प्राइमरी या बालवाटिका में पढ़ने वाले छात्रों को भी भोजन उपलब्ध कराया जाएगा।
- बालवाटिका एक प्रकार के प्री-स्कूल होते हैं, जिन्हें बीते वर्ष सरकारी स्कूलों में औपचारिक शिक्षा प्रणाली में छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शामिल करने के लिये शुरू किया गया था।
अन्य प्रमुख बिंदु
- शिक्षा मंत्रालय स्थानीय स्तर पर योजना की निगरानी के लिये कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों को भी शामिल करेगा।
- 1.3 लाख करोड़ रुपए की कुल अनुमानित लागत में से केंद्र 54,061 करोड़ रुपए वहन करेगा, जिसमें राज्य 31,733 करोड़ रुपए (45,000 करोड़ रुपए खाद्यान्न के लिये सब्सिडी के रूप में केंद्र द्वारा जारी किए जायेंगे) का भुगतान करेंगे।
- योजना के कार्यान्वयन में किसान उत्पादक संगठनों (FPO) और महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये स्थानीय रूप से निर्मित जाने वाले पारंपरिक खाद्य पदार्थों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत विश्व के उन 88 देशों में शामिल है, जो संभवतः वर्ष 2025 तक ‘वैश्विक पोषण लक्ष्यों’ (Global Nutrition Targets) को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकेंगे।
- वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2020 में भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर रहा है। भारत में भुखमरी का स्तर ‘गंभीर’ (Serious) है।
मिड-डे मील योजना
- ‘मिड-डे मील योजना’ शिक्षा मंत्रालय के तहत एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे वर्ष 1995 में शुरू किया गया था।
- इसके तहत कक्षा I से VIII में पढ़ने वाले छह से चौदह वर्ष के आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को पका हुआ भोजन प्रदान करने का प्रावधान शामिल है।
केंद्र प्रायोजित योजना (Centrally Sponsored Schemes-CSS)
केंद्र प्रायोजित योजनाओं का अर्थ कुछ ऐसी योजनाओं से होता है, जिनमें योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु वित्त की व्यवस्था केंद्र तथा राज्य द्वारा मिलकर की जाती है। ऐतिहासिक तौर पर इस प्रकार की योजनाओं को एक ऐसे माध्यम के रूप में देखा जाता है जिसमें केंद्र सरकार राज्यों को योजनाओं के कार्यान्वयन में वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
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