राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता बुनकर बी. कृष्णमूर्ति ने कांजीवरम सिल्क साड़ी बुनाई के लिये सभी पारंपरिक डिज़ाइन, पैटर्न और रूपांकनों के नमूनों का एक भंडार तैयार किया है।
परंपरागत रूप से कांजीवरम साड़ी को प्रायः शहतूत के रेशमी धागों से हाथ से बुना जाता है और इसमें शुद्ध सोने या चांदी की ज़री प्रयोग होती है।
तमिलनाडु के ‘कांचीपुरम’ गाँव में निर्मित कांजीवरम साड़ी को ‘रेशम की साड़ियों की रानी’ भी माना जाता है।
कांचीपुरम रेशम को वर्ष 2005-06 में भौगोलिक संकेत (GI टैग) भी प्राप्त हुआ है।
कांजीवरम साड़ी के डिज़ाइन में ऐसे कई रूपांकन होते हैं, जैसे- पौराणिक पक्षी ‘यली’ (हाथी-शेर का संलयन) और ‘गंडाबेरुंडा (दो सिर वाला राजसी पौराणिक पक्षी) आदि।
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ‘नंदू नाटेकर’ का निधन
28 जुलाई, 2021 को विश्व प्रसिद्ध भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ‘नंदू नाटेकर’ का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है।
वर्ष 1933 में महाराष्ट्र के सांगली में जन्मे, नंदू नाटेकर ने 15 वर्ष के अपने कॅरियर में भारत के लिये 100 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खिताब जीते।
नंदू नाटेकर वर्ष 1956 में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थे।
नंदू नाटेकर वर्ष 1961 में प्रथम अर्जुन पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता भी थे।
छह बार के राष्ट्रीय एकल चैंपियन नंदू नाटेकर ने 20 वर्ष की आयु में भारत की ओर से अपना पदार्पण किया और वर्ष 1951-1963 तक (लगभग एक दशक से अधिक समय) ‘थॉमस कप चैंपियनशिप’ की पुरुष टीम में भारत का नेतृत्त्व किया।